उत्तर प्रदेश में इन दिनों एक बार फिर योगी सरकार एक्शन मोड में नजर आ रही है। ऐसे में प्रदेश में अब महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध करने वालों को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। केंद्र सरकार के नए आपराधिक कानूनों में अग्रिम जमानत के प्रावधानों के दृष्टिगत राज्य सरकार संशोधन अध्यादेश लेकर आई है। मंगलवार को कैबिनेट में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) अध्यादेश 2024 के प्रारूप को मंजूरी दे दी गई। राज्यपाल की सहमति के बाद गृह विभाग इसकी अधिसूचना जारी करेगा।
वहीं आपको बता दें कि वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि गिरफ्तारी की आशंका वाले व्यक्ति की अग्रिम जमानत मंजूर करने के लिए भारतीय सुरक्षा संहिता 2023 में प्रावधान किए गए हैं। इसमें उप्र राज्य की विशिष्ट परिस्थितियों के दृष्टिगत संशोधन किया जाना जरूरी है। इसके लिए राज्य सरकार अध्यादेश लेकर आई है। इसमें प्रदेश सरकार की महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति की वजह से अग्रिम जमानत नहीं होने का प्रावधान किया गया है। इससे महिलाओं और बच्चों के मन में राज्य व विधि की सत्ता के प्रति अटूट विश्वास उत्पन्न किया जा सकेगा।
अग्रिम जमानत नहीं मिलने से यौन अपराधों की विवेचना और जैविक व वैज्ञानिक साक्ष्यों का जल्द संकलन किया जा सकेगा। इसके अलावा पीड़ित अथवा पीड़िता के भय, दबाव आदि की संभावना का निराकरण भी हो सकेगा। इसके तहत पॉक्सो अधिनियम, बलात्कार से संबंधित धारा 64, 65, 66, 68, 69, 70 व 71 के मामले भी शामिल किए गए हैं।