मोहनलालगंज। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद थी, लेकिन विपक्ष की ओर से आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने की अफवाह से भाजपा को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इन अफवाहों के चलते दलित वोटर्स ने कई सीटों पर भाजपा के साथ-साथ बसपा को भी दरकिनार कर सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया। विपक्ष के इस दांव की काट ढूंढने के लिए भाजपा ने अपने दलित नेताओं को मैदान में उतारने का फैसला किया है।
दरअसल, दलितों के बीच विपक्ष के फैलाए भ्रम को दूर करने के अभियान के तहत मोहनलालगंज के पूर्व सांसद कौशल किशोर 30 जून को बड़ा सम्मेलन आयोजित करेंगे। मोहनलालगंज सीट से दो बार सांसद रहे कौशल किशोर को विपक्षी गठबंधन के प्रत्याशी आरके चौधरी के खिलाफ जीत नहीं सके। लोकसभा चुनाव में मिली हार के कारणों पर मंथन हुआ। कौशल किशोर ने गुरुवार को प्रदेश कार्यालय में आला पदाधिकारियों के साथ वार्ता कर हार के कारण गिनाए। इसके बाद पूर्व भाजपा सांसद ने शुक्रवार को आरक्षण और संविधान को लेकर जागरूकता अभियान का ऐलान कर दिया।
दलितों में फैले भ्रम से हुआ नुकसान
लोकसभा चुनाव मिली हार का कारण बताते हुए कौशल किशोर कहते हैं कि चुनाव से पहले आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने के मुद्दे पर दलित समाज की काफी गलत प्रभाव था, लेकिन विपक्ष के फैलाए झूठ को बेनकाव करने में देरी के कारण पार्टी को नुकसान हुआ।
सपा को दलित विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि बसपा सरकार में प्रमोशन में आरक्षण दिया गया था। इसके खिलाफ सपा ने अभियान चलाया और साल 2012 के चुनावी घोषणापत्र में इसे हटाने का ऐलान किया था। सरकार बनने के बाद अखिलेश यादव ने दलितों के इस हक को वापस ले लिया।